इस वर्ष का दशहरा
कोविद नाईनटीन का रावन जला दशहरा मैदान में
पर ज्यादा लोग देख नहीं पाए इस आयोजन को
घर से ही दुआ की अब फिर पलट कर ना आए ऐसी घड़ी
छोटी सी सवारी आई थी रावण के दहन को
बिना धूमधाम के चुपके से रावण दहन कर चली गई |
बच्चे मेला देखने की जिद्द करते रहे पर कोई नहीं ले गया
कुछ रोए कुछ बहकावे में आए पर वहां पहुँच ना पाए
अगले साल का वादा लिया और जैसे तैसे उनसे पीछ छुडाया
न जाने कल क्या होगा किसे पता दुनिया तो आज पर जीती है |
ऐसा उदासी भरा हमने तो कभी देखा नहीं त्यौहार
बस बीती यादों में खोए रहे
और आज को दुखी मन से भूलने की कोशिश में लगे रहे |
आशा
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