प्रकृति तेरे रूप अनेक
हे देवी तू जीवनदाता
अन्न जल प्राण तुझीसे आता
तू सागर है ,तू पहाड़ है
तू हरियाली ,तू उजाड़ है
तू पतझड़ ,तू नए पान है
तू कोकिल का मधुर गान है
तू उपवन की महक निराली
चहक पक्षियों की तू प्यारी
शीतल बहती ,मस्त पवन तू
रिमझिम बरसे ,वो सावन तू
तू नदिया की कलकल सुन्दर
तू चांदी सा ,झरता निर्झर
तू उगते सूरज की लाली
तेरी है हर बात निराली
चंदा तू ही ,तू ही सितारे
तू सतरंगी ,बादल प्यारे
तू ही ग्रीष्म ,तू ही है सरदी
तू ही है महीना बासंती
तू भीगा मौसम बरसाती
होती उग्र ,बाढ़ तू लाती
जो तू है तो ही जीवन है
तुझ से ही तो ऑक्सीजन है
पर्यावरण ,धरा का सारा
हमने तुझको छेड़ बिगाड़ा
भूल हुई हमसे ये भारी
गलती कर दो क्षमा हमारी
करना तेरी देख रेख है
प्रकृति तेरे रूप अनेक है
हे देवी तू जीवनदाता
अन्न जल प्राण तुझीसे आता
तू सागर है ,तू पहाड़ है
तू हरियाली ,तू उजाड़ है
तू पतझड़ ,तू नए पान है
तू कोकिल का मधुर गान है
तू उपवन की महक निराली
चहक पक्षियों की तू प्यारी
शीतल बहती ,मस्त पवन तू
रिमझिम बरसे ,वो सावन तू
तू नदिया की कलकल सुन्दर
तू चांदी सा ,झरता निर्झर
तू उगते सूरज की लाली
तेरी है हर बात निराली
चंदा तू ही ,तू ही सितारे
तू सतरंगी ,बादल प्यारे
तू ही ग्रीष्म ,तू ही है सरदी
तू ही है महीना बासंती
तू भीगा मौसम बरसाती
होती उग्र ,बाढ़ तू लाती
जो तू है तो ही जीवन है
तुझ से ही तो ऑक्सीजन है
पर्यावरण ,धरा का सारा
हमने तुझको छेड़ बिगाड़ा
भूल हुई हमसे ये भारी
गलती कर दो क्षमा हमारी
करना तेरी देख रेख है
प्रकृति तेरे रूप अनेक है
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