प्रणय निवेदन
चाह यही तेरे जीवन में ,जग के सब सुख संचित कर दूँ
करूँ प्रेम की इतनी वर्षा ,तन मन को रोमांचित कर दूँ
मैं तुमको तुमसे माँगूँ या खुद को तुम पर अर्पित कर दूँ
रत्न जड़ित यह स्वर्ण मुद्रिका ,पहना तुम्हे समर्पित कर दूँ
प्रथम प्रेम उपहार हमारा ,प्रिये इसे स्वीकार करो तुम
जीवन भर के लिए सहचरी ,मेरी बन उपकार करो तुम
जी करता है आसमान से , ,लाकर तारे और चाँद दूँ
जनम जनम वाले बंधन की ,पहली ग्रंथि ,आज बाँध दूँ
चाह यही तेरे जीवन में ,जग के सब सुख संचित कर दूँ
करूँ प्रेम की इतनी वर्षा ,तन मन को रोमांचित कर दूँ
मैं तुमको तुमसे माँगूँ या खुद को तुम पर अर्पित कर दूँ
रत्न जड़ित यह स्वर्ण मुद्रिका ,पहना तुम्हे समर्पित कर दूँ
प्रथम प्रेम उपहार हमारा ,प्रिये इसे स्वीकार करो तुम
जीवन भर के लिए सहचरी ,मेरी बन उपकार करो तुम
जी करता है आसमान से , ,लाकर तारे और चाँद दूँ
जनम जनम वाले बंधन की ,पहली ग्रंथि ,आज बाँध दूँ
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