आया सावन झूम के
जब ठंडी हवाओं के झोंके चलने लगे
मिटटी की सोंधी सोंधी खुसबू महकने लगे
पेड़ पोधे जब ख़ुशी से झूमने लगे
चारों तरफ हरियाली छाने लगे
रिमझिम फुआरें तन मन को भिगाने लगे
प्रियतम की जब मीठी मीठी याद सताने लगे
तो समझो आया सावन झूमके
दिल प्यारे प्यारे गीत गुनगुनाने लगे
चूड़ी ,बिंदिया,कंगना सजने लगे
पेड़ों पर झूले पडकर पेंग चढ़ने लगे
मौसम में चारों तरफ मदहोशी छाने लगे
तो समझो आया सावन झूम के
पपीहा पीहू पीहू कर बुलाने लगे
कोयल कूहू कूहू कर गीत गाने लगे
रिमझिम के गीत सावन गुनगुनाने लगे
तन मन मयूर बन आँगन में नाचने लगे
रेशमी हवाओं के झोंके दिलों को गुदगुदाने लगे
धानी चुनरियाँ हवाओं में लहराने लगे
धानी चुनरियाँ हवाओं में लहराने लगे
तो समझो आया सावन झूमके
4 comments:
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
साया बापू का उठा, *रूप-चन्द ग़मगीन :चर्चा मंच 1690
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
सावन पर बहुत खुबसूरत रचना |
अच्छे दिन आयेंगे !
सावन जगाये अगन !
सावन से सरोबार प्रस्तुति
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