सरस्वती वंदना
भावना के प्रसूनों से ,गुंथी उज्जवल,श्वेत माला
अलंकारों से हुआ है रूप आभूषित निराला
श्वेत वाहन,हंस सुन्दर ,श्वेत पद्मासन तुम्हारा
श्वेत वस्त्रों से सुसज्जित ,दिव्य सुन्दर रूप प्यारा
हाथ में वीणा लिए माँ,तुम स्वरों की सुरसरी हो
बुद्धि का भण्डार हो तुम,भावनाओं से भरी हो
भक्त,सेवक मैं तुम्हारा ,मुझे ,आशीर्वाद दो माँ
प्रीत दो,संगीत दो और ज्ञान का परशाद दो माँ
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
भावना के प्रसूनों से ,गुंथी उज्जवल,श्वेत माला
अलंकारों से हुआ है रूप आभूषित निराला
श्वेत वाहन,हंस सुन्दर ,श्वेत पद्मासन तुम्हारा
श्वेत वस्त्रों से सुसज्जित ,दिव्य सुन्दर रूप प्यारा
हाथ में वीणा लिए माँ,तुम स्वरों की सुरसरी हो
बुद्धि का भण्डार हो तुम,भावनाओं से भरी हो
भक्त,सेवक मैं तुम्हारा ,मुझे ,आशीर्वाद दो माँ
प्रीत दो,संगीत दो और ज्ञान का परशाद दो माँ
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
4 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (09-02-2014) को "तुमसे प्यार है... " (चर्चा मंच-1518) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर प्रस्तुति
वसंत-काल की सभी मित्रों को कोटि कोटि मीठी मीठी वधाइयां !
आप की यह रचना निश्ठात्मक है !
dhanywad aap sabka -apnee sundar tippaniyo ke liye
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