खोखला भाषण - १५ अगस्त २०१३
देखीं आज कतारें दिल्ली में रंगों की मूक इशारों की,
PM के भाषण में गयी सुनाई ख़ामोशी दरबारों की,
भारत के ठेकेदारों ने कायरता इस कदर दिखाई,
टूटी चीखों के आगे मरता आवाहन न पड़ा सुनाई,
न जाने किस आज़ादी की भारत को दी गयी बधाई,
लालकिले को वीरों के कटे सिरों की याद नहीं आई,
दिल्ली में होती तार तार बहनों की चीख नहीं देखी,
सतरंगी वादों पर पलती भारत की भूख नहीं देखी,
सीमा पर हो गए शहीदों की माँओं का दर्द नहीं देखा,
वीरों की ललनाओं के सिंदूरों का सन्दर्भ नहीं देखा,
1 comment:
स्वंत्रता-दिवस की कोटि कोटि वधाइयां !बहुत अच्छी विरोधाभासी व्यंग्य-रचना के लिये साधुवाद !!
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