घोटाला ही घोटाला
जिधर भी हाथ डाला
घोटाला ही घोटाला
किसी के हाथ काले,
किसी का मुंह काला
बड़ा बिगड़ा है मंजर
घोटाला हर कहीं पर
घोटाला थोक में है
ये तीनो लोक में है
बड़ा आकाश प्यारा
वहाँ 'टू जी ' घोटाला
ख़रीदे हेलिकोफ्टर
घोटाला था वहां पर
जमीं पर रेल में है
प्रमोशन खेल में है
घोटाला भर्तियों में
जनाजे अर्थियों में
था कामनवेल्थ खेला
सभी ने कर झमेला
खेल कुछ खेला ऐसा
कमाया खूब पैसा
कोयला ब्लोक बांटे
अपने ही लोग छांटे
कर रहे लोग चीटिंग
किया स्पॉट फिक्सिंग
एक तो करते चोरी
उसपे भी सीनाजोरी
हुई मैली है गंगा
हरेक नेता है नंगा
जहाँ भी मिला मौक़ा
देश को दिया धोका
भतीजा और चाचा
ससुर,दामाद राजा
भांजा और मामा
भरें अपना खजाना
इस तरह चला फेशन
विदेशी देश में धन
भेजते कर हवाला
घोटाला ही घोटाला
किसी के हाथ काले,
किसी का मुंह काला
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
3 comments:
बहुत ही सुन्दर, भावपूर्ण और सशक्त लेखनी | शानदार अभिव्यक्ति | सादर आभार |
आप भी कभी यहाँ पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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Andher nagaree ! Nicely woven !
सु नदर रचना प्रस्तुति ...
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