सीने में शोले हैं बह जाये बूँद पर बूँद,
खाने को न हो रोटी पर मरता नहीं जुनून,
श्वेत कफ़न सी सरहद पर आँखों में,
रक्तिम आंसू ले कहता शहीद का खून,
भारत के दो शेरों की निर्मम हत्याओं पर,
कायर नपुंसक दरबारों की हीलाहवाली है,
गन्दी दागी खद्दर की हिफाजत में हरदम,
तैनात सारी बंदूकों के मुँह पर गाली है।
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