मीत मेरे घर जाकर कहना मेरा ये सन्देश
छोड़ चला ये देश।
माँ के आँचल में आँसू की बुँदे टपका देना
फिर भी ना समझें नादां तो
जलता दीप बुझा देना।
मीत मेरे घर जाकर कहना मेरा ये सन्देश
छोड़ चला ये देश।
पलक बिछाये प्राणप्रिया को मुरझाया फूल
दिखा देना ,फिर भी ना समझें नादां तो
दमकता सिंदूर मिटा देना
मीत मेरे घर जाकर कहना मेरा ये सन्देश
छोड़ चला ये देश।
थाल सजाये लाडो बहना के आगे शीश झुका
देना,फिर भी ना समझें नादां तो
राखी तोड़ गिरा देना।
मीत मेरे घर जाकर कहना मेरा ये सन्देश
छोड़ चला ये देश।
अंक में भरकर लाल को मेरे सीने से चिपका
लेना,फिर भी ना समझे नादां तो
तोड़ सब्र का बांध बहा देना।
मीत मेरे घर जाकर कहना मेरा ये सन्देश
छोड़ चला ये देश।
गाँव,गली चौबारे पूछें हांल मेरा बतला देना
फिर भी ना समझें नादां तो
उंगली आकाश उठा देना।
1 comment:
बेहतरीन! सुन्दर रचना!
http://voice-brijesh.blogspot.com
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