दामिनी तुम तो खुद दामिनी थीं आतताईयों
पर कहर बरपा दी होती अंग झुलसा दी होती \
हिमाकत में आग लगा दी होती ,जो मन्त्र फूंक
तुम सो गयी हमेशा के लिए उसकी मशाल
जल रही है और जलती रहेगी तू अमर हो गयी
दामिनी ,हर किसी को झकझोर दिया है तेरे साथ
हुए अमानवीय ,अमानुषिक अत्याचार ने \आज का
दिन कैसा इतिहास लिखेगा ,ये तो आगे .........
कर इतनी बुलंद आवाज की व्यभिचार रुक जाये
सहनशक्ति मौन तोड़ दे चंडी का अवतार बन जाये \
दिखा इतना कहर आक्रोश का कि आगाज हो जाये
क्या हस्ती हमारी है सारे संसार को अंदाज हो जाये \
2 comments:
सच ...दुःख के भीषण पल हैरान से हम सब
अब तो उठानी ही होगी मशाल ..
dhanyabad mamata ji
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