दिल्ली में दिल दहला देने वाली गैंगरेप की जो वारदात हुई है ,पता नहीं उससे देश की जनता शर्मशार है या नहीं लेकिन नारीजाति की सुरक्षा पर सवाल जरुर उठ खड़ा हुआ है।क्या लड़कियां बिलकुल ही महफूज नहीं हैं।आज यह मिडिया की सुर्खियों में छाया है,आज चर्चा का विषय है, कल राजनीति का मुद्दा बन जायेगा । आज जो लोग अपराधियों के लिए फांसी की सजा की मांग कर रहे हैं कल वही इसी फांसी के केस पर राजनीति की रोटी सेकेंगे ।जिसने भी इस दुह्साहसिक घटना को अंजाम दिया है उसकी तो ऐसी दुर्गति करनी चाहिए की फिर कभी कोई ऐसा विचार करने से पहले दहल जाय। कितने लोग पेपर पढ़ते हैं ,कितने लोग टेलीविजन पर समाचार सुनते हैं। बिना मतलब की बहस के बाद नए टॉपिक मिलने पर पुराना टॉपिक बंद।मेरे विचार से ऐसे अपराधियों को बीच चौराहे पर तड़पा-तड़पा कर एक-एक अंग को काटना चाहिए और सम्पूर्ण पुरुष जाति को दिखाना चाहिए ,और इसकी तस्वीर खींचकर जगह-जगह चस्पा करनी चाहिए ताकि आम जनता भी देखे और नसीहत ले ,इस तरह की सजा की भनक तो कितने लोगों को होती नहीं ,कम से कम जो लोग न्यूज नहीं देखते
पेपर नहीं पढ़ते वो इश्तहारों से सबक तो लेंगे । यदि फांसी की सजा पर कुछ लोगों को ऐतराज है तो मैं कहूँगी की उस इन्सान को जिंदगी भर के लिए नपुंसक बना देना चाहिए जिससे उसने किसी की जिंदगी को तबाह किया है।इस पर तो किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए ।अभी हवा गर्म है तत्काल निर्णय होना चाहिए वरना अदालत में लम्बित फाइलों में दब जाएगी ।औरतों के लिए दिन और रात का हवाला दिया जाता है क्या आदमियों के दिन-रात अलग होते हैं,लड़कियाँ हर क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रहीं हैं फिर ऐसा भेदभाव क्यों,सिर्फ इसलिए की ईश्वर ने भी संरचना में भेदभाव किया।फिर इज्जत जैसी बातें केवल औरत जाति पर ही क्यों थोपी जाती है क्यों मुँह काले करने वाले पतित पुरुषों पर क्यों नहीं \बहुत हो चुका ,ऐसे घृणित कार्य करने वाले को शिघ्रातिशीघ्र सजा होनी चाहिए और सभी मानव जाति को इसका समर्थन करना चाहिये ।
पेपर नहीं पढ़ते वो इश्तहारों से सबक तो लेंगे । यदि फांसी की सजा पर कुछ लोगों को ऐतराज है तो मैं कहूँगी की उस इन्सान को जिंदगी भर के लिए नपुंसक बना देना चाहिए जिससे उसने किसी की जिंदगी को तबाह किया है।इस पर तो किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए ।अभी हवा गर्म है तत्काल निर्णय होना चाहिए वरना अदालत में लम्बित फाइलों में दब जाएगी ।औरतों के लिए दिन और रात का हवाला दिया जाता है क्या आदमियों के दिन-रात अलग होते हैं,लड़कियाँ हर क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रहीं हैं फिर ऐसा भेदभाव क्यों,सिर्फ इसलिए की ईश्वर ने भी संरचना में भेदभाव किया।फिर इज्जत जैसी बातें केवल औरत जाति पर ही क्यों थोपी जाती है क्यों मुँह काले करने वाले पतित पुरुषों पर क्यों नहीं \बहुत हो चुका ,ऐसे घृणित कार्य करने वाले को शिघ्रातिशीघ्र सजा होनी चाहिए और सभी मानव जाति को इसका समर्थन करना चाहिये ।
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