काश ऐसा होता
उड़ सकती मैं भी
खुले आसमां में
पंछियों की तरह
बादलों के संग
धीरे –धीरे विचरती
काश ऐसा होता.........
चल सकती मैं भी
हवा के साथ साथ
गुनगुनाती हुई
रागिनी की तरह
काश ऐसा होता..........
पहुंच जाती मैं भी
तारों के गुलिस्ताँ में
चाँद के संग
चाँदनी की तरह
इठलाती हुई
निशा के संग
धीरे-धीरे विचरती
काश ऐसा होता.......
काश ऐसा होता.......
7 comments:
fir to kya bat hoti yadi aisa hota.bahut sundar bhavabhivyakti.badhai.
सुन्दर भाव ,हार्दिक बधाई ...
bahut achche sapne achchi kalpna....kash hume bhi pankh mil gaye hote.
bahut sundar rachna-sare sapne sach nahi hote
ghotoo
sunder kalpana...
man kho gaya ...
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
आपकी पोस्ट की चर्चा सोमवार १/०८/११ को हिंदी ब्लॉगर वीकली {२} के मंच पर की गई है /आप आयें और अपने विचारों से हमें अवगत कराएँ /हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। कल सोमवार को
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
Post a Comment